shiv chalisa lyrics pdf - An Overview

Wiki Article

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा । तन नहीं ताके रहे कलेशा ॥

अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

शिवाष्टकस्तोत्र को सुबह- शाम किसी भी दिन पढ़ सकते है।

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

shrishivchalisa.com participates inside the Amazon Associates Associates Software, an affiliate marketing software created to give a suggests for websites to receive commissions by linking to Amazon.

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥

कंचन click here बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

Report this wiki page