सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा । तन नहीं
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा । तन नहीं